शास्त्रों को कब पढना चाहिये ? क्या व्यस्त जीवन में शास्त्रों को पढ़ सकते हैं ?


अभी हाल ही में, मैं लखनऊ गया था | वहां Pranav Dwivedi जी ने शास्त्र ज्ञान चर्चा सत्र रखा था | जैसा हर बार होता है, इस बार भी हम रिकॉर्डिंग करना भूल गये | आखिरी प्रश्न पर याद आया कि यार रिकॉर्डिंग तो की ही नहीं तो जल्दी जल्दी मोबाइल से रिकॉर्ड किया | मैंने ये अनुभव किया है कि यदि १०० लोगों से पुछा जाये कि उनके धर्म और शास्त्रों से सम्बंधित प्रश्न क्या हैं तो उनमें कम कम से १० प्रश्न कॉमन होंगे, जिनके उत्तर उन सभी को अपेक्षित होते हैं | इसलिये मैं रिकॉर्डिंग कर लेता हूँ, बार बार बोलना संभव नहीं है पर रिकॉर्ड करके, अन्य लोग भी उस प्रश्न का उत्तर जान सकते हैं |

प्रणव द्विवेदी जी के एक मित्र ने बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा कि अपने व्यस्त जीवन में, जीवन के विभिन्न चरणों और बाधाओं के बीच, क्या शास्त्रों को पढ़ा जा सकता है क्योंकि ये तो बहुत सारे हैं और इनको समझना भी आसान नहीं है | तो कैसे इनके लिये समय निकाला जाये, जबकि इनको पढने से ज्यादा जरूरी जीवन में बहुत से काम हैं !

दूसरा प्रश्न उन्होंने किया कि शास्त्रों को पढने की सही आयु क्या है ? कब से शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिये ? क्या हम बुढापे में ये नहीं पढ़ सकते ? क्योंकि अभी तो जवान हैं, जीवन में कम्पटीशन भी देना है, जॉब भी करनी है, शादी भी करनी है, सेटल भी होना है तो बाद में भी तो पढ़ सकते हैं ?

इन दोनों प्रश्नों के बाद द्विवेदी जी ने प्रश्न किया कि यदि कोई शास्त्रों को पढने का प्रयास भी करे तो सबसे पहले क्या पढ़े ? ये सभी प्रश्न महत्वपूर्ण है, समझने के लिये | आमजन ये ही सोचता रहता है कि मेरे पास समय कहाँ है पढने के लिये ! इन शास्त्रों को पढने से लाभ भी क्या मिलने वाला है ? वही कथा, कहानियाँ तो हैं इनमें ! जबकि ये एक बहुत बड़ा भ्रम है कि इनमें सिर्फ कथा कहानी हैं ! असल में, इनमें जीवन को जीने के सूत्र हैं जो जितना ज्यादा पता होंगे, जीवन उतना ही आसान हो जाएगा | पर लोग अक्सर इसको पढने समझने के लिये बुढापे की प्रतीक्षा करते हैं | आप पुस्तक पढ़कर फ़ुटबाल की टेक्नीक तो सीख जाओगे पर यदि आप के पास फ़ुटबाल खेलने के लिए खेल का मैदान ही न हो तो आप प्रक्टिकल कैसे करेंगे ? यदि आप बुढापे में शास्त्रों का अध्ययन करेंगे तो उसको जीवन में प्रैक्टिकल कैसे करेंगे ? उसको जीवन में उतारेंगे कैसे ? क्योंकि जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष तो आपके निकल चुके हैं ! फिर हम बस ये ही सोचते रहते हैं, काश ! हमने ये शास्त्र पहले पढ़े होते तो कितने काम आते ! जैसे आदमी बड़ा होने पर सोचता है, काश पहले थोडा ज्यादा मेहनत करके पढ़ लिये होते तो कहीं अच्छी जगह लग जाते | पर बाद में पछताने से तो कुछ मिलता नहीं है | इन्हीं प्रश्नों को समझने के लिये, इस वीडियो को देखिये और समझिये कि शास्त्रों का जीवन में क्या योगदान है ? कैसे शास्त्र आपके जीवन को आसान बनाते हैं ! कब शास्त्रों को पढना चाहिए और कौन सा शास्त्र पढना चाहिए |

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इस वीडियो को बनाने में अमूल्य योगदान के लिये, आदित्य वशिष्ठ जी का विशेष रूप से शुक्रिया | उनके बिना, वीडियो का ये प्रारूप संभव नहीं था | शास्त्र ज्ञान को आगे बढाने में, उनके योगदान के लिये उनका पुनः धन्यवाद |

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